शनिवार, 28 जून 2008

मैं


मैं

सभ्यता की सारी उपलव्धि

प्रणय प्रसंग का चरमोत्कर्ष

सिकंदर का अहं

कुबेर की तिजोरी

या फ़िर

ऐशार्व्या का सौंदर्य और मोनालिसा का मुस्कान

कुछ भी हो सकता हूँ

सिवाय

एक इन्सान के

क्योंकि मैं चुप रहा

जब मेरे पड़ोस में , एक सबल ने निर्बल को मारा

और जब दंगा हो रहा था

तब मैं टेलिविज़न पर क्रिकेट मैच देख रहा था

रंजीत

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